बुधवार, 23 सितंबर 2009

बोले तू कौनसी बोली ? ८

बड़े दिनों बाद इस ब्लॉग पे लिख रही हूँ...कई बार यह दुविधा रहती है,कि , जिस भाषाकी वजह से मज़ेदार अनुभव आए/हुए, वह भाषा भी पाठकों को आनी चाहिए...तभी तो प्रसंग का लुत्फ़ उठा सकते हैं / सकेंगे...बड़ा सोचा, लेकिन अंत मे इसी प्रसंग पे आके अटक गयी...खैर...! अब बता ही देती हूँ...

छुट्टी का दिन और दोपहर का समय था। मै मेज़ पे खाना लगा रही थी...एक फोन बजा...मैंने बात की...फिर अपने काम मे लग गयी...

कुछ समय बाद जब मेरे पती खाना खाने बैठे,तो मुझसे पूछा,
" कौन मर गया?"
मै :" मर गया? कौन ? किसने कहा?"

पती: " तुमने ! तुमने कहा..."

मै : " मैंने कब कहा? मुझे तो कुछ ख़बर नही !! क्या कह रहे हो....!"

पती: " कमाल तुम्हारी भी...कहती हो और भूल जाती हो...!"

मै :" कब, किसे कहा, इतना तो बताओ...!"

पती: " मुझे क्या पता किससे कहा..मैंने तो कहते सुना..."

मै :" लेकिन कब? कब सुना...? इतना तो बता दो...! मै तो कल शाम से किसी को मिली भी नही..और ये बात तो मेरे मुँह से निकली ही नही .... "
मै परेशान हुए जा रही थी...ये पतिदेव ने क्या सुन लिया...जो मैंने कहाही नही....!!!

पती:" अभी, अभी, खाना लगाते समय तुम किसीको कह रही थी कि, कोई मर गया...किसका फोन था?"
मै :" फोन तो मेरी एक सहेली का था...शोभना का...लेकिन उससे मैंने ऐसा तो कुछ नही कहा...वो तो मुझसे नासिक जाने की तारीख पूछ रही थी...बस इतनाही...मरने वरने की कहाँ बात हुई...मुझे समझ मे नही आ रहा...???"

बस तभी समझ मे आ गया...मै ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी...

मै : उफ्फो...!! मै उसे तारीख बता रही थी..मेरे नासिक जानेकी..मराठी मे कहा,' एक मेला...'..."

इसका अगला पिछ्ला सन्दर्भ पता न हो तो वाक़ई, मराठी समझने वाला, लेकिन जिसकी मूल भाषा हिन्दी हो , यही समझ सकता है जो इन्हों ने समझा.."एक मेला" इस आधे अधूरे वाक्य का मतलब होता है," एक मर गया"...मेला=मर गया...
मुझे शोभना ने पूछा: "( मराठीमे) तुम नासिक कब आ रही हो?"
मेरा जवाब था: " एक मेला... "....मतलब, मई माह की एक तारिख को...एक मई को.... पती ने वो सन्दर्भ सुनाही नही था...जब शोभना ने मुझसे फिरसे पूछा:" पक्का है ना?"( मराठीमे =नक्की ना...एक मेला?")
जवाब मे मैंने कहा था : " हाँ पक्का...( नक्की...)' एक मेला', ...(एक मई को...)।

मै शोभना को बार, बार 'एक मेला' कहके यक़ीन दिला रही थी...और वो यक़ीनन जानना चाह रही थी, क्योंकि, मुझे एक वर्क शॉप लेना था!! नासिकमे...तथा उस मुतल्लक़ अन्य लोगों को इत्तेला देनी थी...जो काम शोभना को सौंपा गया था...!!!!

इतनी बार जब मैंने उसे" एक मेला' कह यक़ीन दिलाया, तो मेरे पतिदेव को यक़ीन हो गया कि,कोई एक मर गया ....और मै नकारे चली जा रही थी...जितना नकार रही थी, इनका गुस्सा बढ़ता जा रहा था...!