सोमवार, 28 दिसंबर 2009

बोले तू कौनसी बोली ? ४: सहपरिवार ...!

काफ़ी साल हो गए इस घटनाको...बच्चे छोटे थे...हमारे एक मित्र का तबादला किसी अन्य शेहेर मे हो गया। हमारा घर मेहमानों से भरा हुआ था, इसलिए मेरे पतीने उस परिवार को किसी होटल मे भोजन के लिए ले जाने की बात सोची।

एक दिन पूर्व उसके साथ सब तय हो चुका था... पतीने उससे इतना ज़रूर कहा था, कि, निकलने से पहले, शाम ७ बजेके क़रीब वो एकबार फोन कर ले। घरसे होटल दूर था...बच्चे छोटे होने के कारण हमलोग जल्दी वापस भी लौटना चाह रहे थे।

उन दिनों मोबाईल की सुविधा नही थी। शाम ७ बजे से पहलेही हमारी land लाइन डेड हो गयी...! मेरे पती, चूंकी पुलिस मेहेकमे मे कार्यरत थे, उन्हों ने अपने वायरलेस ऑपरेटर को, एक मेसेज देके उस मित्र के पास भेजा," आप लोगों का सहपरिवार इंतज़ार है..."

हमारे घर क़रीब थे। ऑपरेटर पैदल ही गया। कुछ देर बाद लौटा और इनसे बोला," उन्हों ने फिर एकबार पूछा है..उन्हें मेसज ठीक से समझ नही आया..."
हम दोनों ही ज़रा चकित हो गए...मैंने इनसे कहा," आप एक चिट्ठी लिख दें तो बेहतर न होगा?"
"अरे, इतनी-सी बात है...उसमे क्या चिट्ठी लिखनी?"
इतना कह,इन्हों ने फिर एकबार अपनी बात उस ऑपरेटर के आगे दोहरा दी।
ऑपरेटर जाके लौट आया। हमारा फोन तो डेड थाही। तकरीबन ९ बजे उसमे जान आयी...एक हलकी-सी'ट्रिंग" की आवाज़ मुझे सुनाई पड़ी...! मैंने इन्हें झट अपने मित्र को फोन करने के लिए कहा...
इन्हों ने फोन घुमाया," अरे यार! क्या हो गया है तुम लोगों को? हम शाम ७ बजे से इंतज़ार कर रहे हैं...अब ९ बजने आए...! कहाँ रह गए हो? हमसे ज़्यादा तो तुझे जल्दी थी, बच्चों के कारण.....!"

" लेकिन तूने तो कहा था,कि, बस हमही लोग हैं...तूने ये औपचारिकता क्यों कर दी? और लोगों को क्यों बुला लिया?" हमारे मित्र ने कुछ शिकायत के सुर मे कहा पूछा।

"लेकिन तुझे किसने कह दिया कि, और लोगों को आमंत्रित किया है? बस तुम लोग हो और हम चार...! "मेरे पती ने कहा...

"अरे यार ! मैंने तो दो बार पुछवाया, कि, और कौन आनेवाला है, और तू कहता रहा,'सफारी पेहेन के बुलाया है'...अब सफ़ारी सूट तो औपचारिक आयोजनों मे पहना जाता है..मै तो कुरता पजामा पेहेन आनेवाला था...मेरी बीबी अब सफ़ारी पे इस्त्री कर रही है....!"

"अरे भैया , तुझे किसने कहा 'सफ़ारी' पेहेन के आने को....? अब जैसा है वैसा ही आजा..." इनकी आवाज़ शायद कुछ अधिक बुलंद हुई होगी, क्योंकि, उसकी पत्नी ने सुन ली...!

इनके मित्र ने जवाब दिया," यार, अब मेरी बीबी कह रही है, इतनी मुश्किल से तो ये सूट ढूँढा...कहाँ loft पे पडा मिला...अब यही पहनो...उसने इस्त्री भी की है...खैर, आते हैं हमलोग..बस और ५ मिनिट दे दो...!"
मुझे ये सँवाद सुनाई पड़ रहा था, और बात समझ मे आने लगी तो मेरी हँसी छूटती जा रही थी, और इन्हें गुस्सा चढ़ता जा रहा था..!

इन्हों ने ओपरेटर को बुला के डाँटना शुरू किया," कमाल है तुम लोगों की...इतना सीधा मेसेज समझ नही सकते..वायरलेस पे क्या समझते होगे? मै "सेह्परिवार" कहता चला जा रहा था, और तुम "सफ़ारी" सुन रहे थे?"

अब ये 'उच्चारण 'का भेद मुझे समझ मे आ रहा था... मराठी मे "सह परिवार" इसतरह उच्चारण होता है, जबकि, ये 'सेप्ररी वार "...इस तरह से उच्चारण कर रहे थे...और वो लड़का उसे 'सफ़ारी" सुन रहा था...!

मैंने अपने पती का गुस्सा शांत करने के ख़ातिर कहा," आप अपने आपको चंद रोज़/माह आगे कर के देखो...आपको ख़ुद इस बात पे हँसी आयेगी...तो अभी ही क्यों न हँस लें?"

खैर! मेरा वो प्रयास तो असफल रहा...लेकिन, ये सच है,कि, चंद रोज़ बाद इसी बात को याद कर हम सब खूब हँस लेते थे...जब कभी अपने अन्य दोस्तों को बताते....बडाही मज़ा लेके बताते...अब तो जब सफ़ारी की बात निकलती है, हम उसे 'सह परिवार' कहते हैं, और जब 'सह परिवार' की बात होती है तो उसे 'सफारी' कह लेते हैं....ख़ास कर मै ख़ुद!

5 टिप्‍पणियां:

  1. सब अपनी अपनी ज़ुबान का फ़र्क है पर वाकिया है बड़ा मजेदार कभी ना भूलने वाला और याद करने पर ठहाको का दौर..बढ़िया संस्मरण...धन्यवाद!!

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  2. बहुत उम्दा संस्मरण.

    यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

    हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

    मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

    निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

    आपका साधुवाद!!

    शुभकामनाएँ!

    समीर लाल
    उड़न तश्तरी

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  3. वाकई उच्चारण के सही समझ न होने पर अर्थ का अनर्थ हो जाता है। बहुत बढ़िया संस्मरण !!!

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  4. किसी दिन सफारी के साथ सहपरिवार के लिए बाहर जाना चाहिए...

    उम्मीद है आपने सफारी को सहपरिवार और सहपरिवार को सफारी पढ़ा होगा..

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