मंगलवार, 14 अप्रैल 2009

ये कहाँ आ गए हम...? ६

निम्मी तथा उसका परिवार जब हमारे शेहेरसे विदा हुए तो लगा, जैसे कोई अपने नैहरसे विदा ले रहा है.....निम्मी इसतरह मेरे गले लगके रोई कि, हर आँख रो दी....अजीब आलम था...माँ-बाबूजी उसके लिए खुश थे...अपने आपके लिए कहीँ एक और बिछोह्का गम मनमे छुपाये हुए...

वंदन भी गया.....शायद उसके लिए इतनी दुविधा नही थी...

ब्याह्की तारीखभी तय हो गयी...एक माहके अन्दर, अन्दर सब होना था...और जितना मैंने सोचाभी नही था, उससे कहीँ अधिक आसानीसे सबकुछ हो गया...ब्याह मेरे घरसे हुआ...विदा किया, निम्मीके सास ससुरने ...जो हमेशा उसके माता पिता रहे....उसकी बेटियाँ, मानो उसकी सखियाँ बन गईं थीं........

उन्हें उनकी पाठशालाकी पढाई होनेतक अपने दादा दादीके पासही रखना तय हुआ था...और निम्मीभी कुछ रोज़ वंदन के साथ बिता, उन्हींके पास चली आयी....

वंदन ने अपनी वैद्यकीय practice के लिए , निम्मीके ससुरालके पासका एक महानगर चुन लिया...केवल दो घंटों का फासला था....
हरेक चीज़ जैसे पूर्व निर्धारित हो, अपनेआप घटती गयी....मुझे कई बार लगता मानो एक सपना देख रही हूँ...
कितनी बार उस विराट शक्तीके आगे नतमस्तक हो जाती....इसकी गिनतीही नही रही...

३ साल पँख लगाके बीत गए.....मेरे बच्चे, दोनों अलग, अलग शेहेर, आगेकी पढ़ाई के खातिर जानेका विचार करने लगे...मै दिल थामे बैठे रही....

वंदन का दुनियाके विभिन्न शहरों मे सेमीनार/ कांफ्रेंस के लिए आता जाता रहता....निम्मीसे फोनपे बात हो जाया करती.....वंदन भी फोन कर दिया करता...निम्मीने एक नामांकित पत्रिकामे काम करना शुरू कर दिया था...एक मौक़ा ऐसा आया, जब उसे अन्य देशमे मेहमान faculty के तौरपे आमंत्रण आया....उसके माँ-बाबूजी ने अपनी पोतियों की ज़िम्मेदारी सहर्ष स्वीकार कर ली....निम्मी और वंदन, दोनोही दो अलग देशों मे चले गए...

और पता नही कैसे, क्या हुआ, उनका, आपसी तथा, अपने परिवारके साथ संपर्क हो नही पाया....

विवाह्के बाद एकबार वंदन की प्रथम पत्नी ने वंदन के साथ संपर्क बनानेकी कोशिश की थी...निम्मीनेही वंदन को प्रोत्साहित किया कि, वो अपने मनमे कटुता न रखे...और एक दोस्तकी तरह उससे मिल लिया करे...वंदन का UK सबसे अधिक आना जाना रहता....

अबके जब दोनों बाहर मुल्क गए हुए थे, वंदन का आखरी फोन उसकी प्रथम पत्नीके शेहेरसे आया...निम्मीसे बात हुई...और उस वार्तालाप के बाद, वंदन का फोन निम्मीने लगातार बंद पाया...इतनी ख़बर तो मुझे मिली...और फिर उस शाम वो अजीबो गरीब ख़बर.....जिसने मेरे पैरों तलेसे ज़मीन खिसका दी....

क्या, करूँ ? हे इश्वर ! मुझे कोई तो राह दिखा...मै क्या करुँ? मै क्या करुँ ??ये ख़बर एक सपना था या, गुज़रे ३ साल... ......क्या सच था....क्या...क्या.....मेरा मन एक आक्रोश करता जा रहा था....किसे विश्वास दिलाऊँ...? किसकी जवाबदेही करुँ?? ना निम्मीसे संपर्क ना वंदन से.........बस एक वो ख़बर...उसके बाद जिसने वो ख़बर दी, उसके साथभी कोई संपर्क नही....
क्रमशः

9 टिप्‍पणियां:

  1. अरसे बाद आया जैसे.....जीवन यात्रा अभी भी चल रही है हिचकोले खाते हुए....

    जवाब देंहटाएं
  2. ओह हो क्‍या कहा जाए कुछ समझ में भी तो नहीं आ रहा एक एक शब्‍द लग रहा है दर्द में डुबोकर निकाला है

    जवाब देंहटाएं
  3. shama jee ,
    jab bhee main aapko padhtaa hoon to aisaa lagtaa hai mano man mashtishk mein koi chalchitra saa chal raha hai. ab ye aapkee rawaangee kaa kamaal hai ya anokhee shailee ka ye to aap hee jaanein ,magar mujhe yakeenan sukun miltaa hai.dhanyavaad, likhtee rahein.

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी लेखनी के प्रवाह से चमत्कृत हूँ...कितना अच्छा लिखती हैं आप...वाह.
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  5. shamajee ,
    aapke lekhan me saralta ke sath ek nirantarta hai . kathya to hai hee ,jo prawah ke sath chalta rahta hai .

    likhtee rahiye ham padh rahe hain .

    जवाब देंहटाएं
  6. aapke lekhan me saraltam shabdon me ek nirantar pravah hai . kathya aur uskee utsukta to hotee hee chalee jatee hai .aap kee kavita jaisee hee saral lekin man choone valee shailee to hai hee .

    जवाब देंहटाएं
  7. kya kahu kahan se shuru karu.....samajh nahi aata phir bhi...koshish karta hui ?? sabse pahle aapke lakhen ki baat well aapke lakhen main aapke vyaktitv ki jhalak dikhti jitna aapse bat huee aapko pada ek baat to tay hai ..aap jo bhi likhti hai ek-ek shabd ek-ek ahsas ko baya karta hai....koi bhi aapko pade garanti se kah sakta hui....usse aisa lagega mano sath baithe batten kar rahe ho....main to ummeed karooga aapke comments or commplements se bahut kuch seekhne ko milega.....
    yaar u have ultimate script talent ....do something ...??

    Jai ho mangalmay ho

    जवाब देंहटाएं
  8. kitnee laybaddhata hai , n ek shabd kam n ek jyaada . jindagee jab aisee nithurata se hamaara parichay karaatee hai , to shabd jaise goonge ho jate hain .

    जवाब देंहटाएं